भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सम्मिलित होने वाले एक भारतीय क्रांतिकारी थे। 1882 के मद्रास वन अधिनियम के पारित हो जाने के बाद, जंगलों में आदिवासी लोगों की मुक्त आवाजाही पर इसके प्रतिबंधों ने उन्हें अपने पारंपरिक “पोडू कृषि प्रणाली” में शामिल होने से रोक दिया, जिसमें खेती को स्थानांतरित करना शामिल था।
जिसके कुछ समय पश्चात अल्लूरी सीतारामा राजू ने 1922 के “रम्पा विद्रोह” का स्वयं नेतृत्व किया, इसके लिए अल्लूरी सीतारामा राजू ने वनवासी जनसमुदायों को ब्रिटिश गवर्नमेंट और ब्रिटिश गवर्नमेंट द्वारा पारित किए गए दमनकारी कानूनों के विरूद्ध लड़ने के लिए एकत्र करना शुरू कर दिया। इन्होंने पूर्व गोदावरी और मद्रास प्रेसीडेंसी के विशाखापट्टनम क्षेत्रों के सीमावर्ती क्षेत्रों में लड़ाईयां लड़ी, वर्तमान समय में यह क्षेत्र आंध्र प्रदेश के अन्तर्गत आता है।
ऐसे महान क्रांतिकारी अल्लूरी सीतारामा राजू का जन्म विशाखापट्टनम जिले के पांड्रिक ग्राम में हुआ था। इनको आयुर्वेद के साथ ही साथ ज्योतिष पद्धति में भी अधिक रुचि थी। जिसे इन्होंने अपने व्यावहारिक जीवन में आगे भी सीखना जारी रखा। इनकी माता का नाम सूर्यनरायणअम्मा और पिता का नाम अल्लूरी वेंकट रामाराजू था। अल्लूरी सीतारामा राजू का पालन पोषण इनके चाचा अल्लूरी रामकृष्ण राजू ने किया था।
अल्लूरी सीतारामा राजू के साथी क्रांतिकारियों में बिरैयादौरा नामक व्यक्ति बहुत प्रसिद्ध हैं। सीतारामा राजू को पकड़ने के लिए ब्रिटिश गवर्नमेंट ने उस समय 10,000₹ का इनाम जारी कर रखा था लेकिन किसी भी वनवासी ने उस समय की इतनी बड़ी राशि के लिए अल्लूरी सीतारामा राजू के साथ विश्वासघात नहीं किया था। वनवासियों की अल्लूरी सीतारामा राजू के प्रति इतना विश्वास था कि उन्होंने सीतारामा राजू को ‘मन्यम वीरुदू’ (अनु. जंगल का रखवाला) की उपाधि भी दे रखी थी।
क्या था 1922 का रंपा विद्रोह?
1882 में मद्रास फॉरेस्ट एक्ट के पारित हो जाने के पश्चात, जंगली क्षेत्रों के आर्थिक मूल्यों के दोहन के प्रयास में, जंगलों में वनवासी लोगों के मुक्त आवागमन पर प्रतिबंधों ने उन्हें अपने पारंपरिक पोडू कृषि प्रणाली, जोकि एक निर्वाह अर्थव्यवस्था वाली पद्धति थी उसमें उन्हें शामिल होने से रोक दिया गया। ब्रिटिश गवर्नमेंट की इन दमनकारी नीतियों के फलस्वरूप ऐसा परिवर्तन देखने को मिला जिससे वनवासियों को भुखमरी का सामना करना पड़ा और इससे बचने का उनका मुख्य साधन सड़क निर्माण जैसी चीजों के लिए सरकार और उसके ठेकेदारों द्वारा नीरस, कठिन, विदेशी और शोषणकारी कुली प्रणाली का सामना करना पड़ा।