Baleshwari mata mandir उन्नाव का ऐतिहासिक धाम, जानिए इसका प्राचीन इतिहास एवं किसने और कब बनवाया था।

Maa Baleshwari Mandir भारत में उत्तर प्रदेश राज्य के अन्तर्गत आने वाले उन्नाव जिले के पडरी ग्राम में स्थित है। इस मंदिर को मां बालेश्वरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर न सिर्फ उन्नाव के पडरी ग्रामवासियों के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि इस मंदिर का उत्तर प्रदेश राज्य के विभिन्न ऐतिहासिक धरोहरों में विशेष एवं महत्वपूर्ण स्थान है। इस मंदिर के दर्शन करने के लिए उन्नाव के अतिरिक्त और भी जगहों से लोग आते हैं। पुरातात्विक विभाग ने इस मंदिर को सजाने संवारने और संभाल कर रखने की जिम्मेदारी ले रखी है।

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स्थान

उत्तर प्रदेश राज्य के अन्तर्गत आने वाले इस ऐतिहासिक धरोहर और हिंदू मंदिर की उन्नाव से नेशनल हाईवे 27 द्वारा दूरी लगभग 28 किलोमीटर है। तो वहीं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से मां बालेश्वरी मंदिर की दूरी कानपुर-लखनऊ रोड से यात्रा करने पर लगभग 62 किलोमीटर है और नेशनल हाईवे 230 से मंदिर तक की यात्रा करने पर यह दूरी बढ़कर लगभग 74 किलोमीटर हो जाती हैं। उन्नाव क्षेत्र के पडरी ग्राम के बिछिया ब्लॉक के अन्तर्गत आने वाले इस ऐतिहासिक धरोहर रूपी मंदिर के दर्शन करने के लिए आप उन्नाव बस स्टेशन से भी यात्रा कर सकते हैं मां बालेश्वरी मंदिर तक की इसकी दूरी लगभग 26 किलोमीटर है। गांववासियों के अतिरिक्त यह ऐतिहासिक धरोहर उन्नाव के आस पास के क्षेत्र के लोगों के लिए भी बहुत आस्थावान एवं लोकप्रिय दर्शन स्थल हैं।

मां बालेश्वरी मंदिर के निर्माणकर्ता

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वर्तमान समय में अवध प्रदेश में उन्नाव जिले के पडरी ग्राम के बिछिया ब्लॉक के अन्तर्गत आने वाले इस ऐतिहासिक धरोहर मां बालेश्वरी मंदिर का निर्माण उत्तर कौसल (वर्तमान समय के उत्तर प्रदेश) राज्य में लंबे काल खंड से शासन कर रहे अर्कवंशी क्षत्रियों द्वारा करवाया गया था। जिस समय इस मंदिर का निर्माण करवाया गया था उस काल में अर्कवंशी क्षत्रियों (Arkavanahi Kings) का उत्तर भारत एवं मध्य भारत में शासन था। उत्तर प्रदेश (कौसल राज्य) के विशाल भू भाग पर अर्कवंशी क्षत्रियों के शासन की पताका पूरे मध्य सहित उत्तर भारत तक लहराती थी।

मंदिर का निर्माणकाल

उत्तर प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक मां बालेश्वरी मंदिर का निर्माण लगभग 850 वर्षों पूर्व अर्कवंशी क्षत्रियों द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर के ऐतिहासिक साक्ष्य भी उपलब्ध हैं। पडरी ग्राम में प्राचीन मूर्तियों शिवलिंगों के मिलने के बाद पुरातात्विक विभाग ने इस स्थल की जांच पड़ताल करके इसे संवारने का काम किया। समूचे उत्तर प्रदेश पर राज्य करने वाले अर्कवंशी क्षत्रियों ने 2 महत्वपूर्ण स्थलों पर मां बालेश्वरी देवी से जुड़े मंदिर का निर्माण करवाया था। इस ऐतिहासिक प्राचीन मंदिर में भगवान विष्णु की चतुर्भुज रूप की दंड मुद्रा में मूर्ति से लेकर गौरी गणेश सहित अन्य देवी देवताओं की प्राचीन मूर्तियां एवं प्राचीन शिवलिंग नंदी उपस्थित हैं। मंदिर के समीप ही एक काफी पुराना और गहरा कुंआ भी हैं। यह पौराणिक मंदिर लगभग 11ई0 से लेकर 12ई0 के मध्य का बताया जाता है।

समकालीन

अर्कवंशी शासकों द्वारा बनवाए गए 11-12 ई0 के मध्य का यह ऐतिहासिक मंदिर उस काल खंड के समकालीन का हैं, जब जयचंद और पृथ्वीराज में शत्रुता अपने चरम पर थी। दिल्ली नरेश पृथ्वीराज को अर्कवंशी क्षत्रियों का समर्थन मुहम्मद गोरी के विरूद्ध मिल चुका था और मुहम्मद गोरी सहित जयचंद के खिलाफ लड़े गए युद्धों में अर्कवंशी शासकों ने अपनी सेना के सैनिकों की कई टुकड़ी पृथ्वीराज को युद्ध में लड़ने के लिए भी उपलब्ध करवाई थी जिससे क्षुब्ध होकर जयचंद समर्थन वाली मुहम्मद गोरी की अतातायी लश्करों ने प्राचीन मंदिर को तोड़ने के साथ ही साथ मंदिर के आस पास के रहने वाले निवासियों पर खूब अत्याचार किया था।

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