भगवान महावीर का जन्म आज से ढाई हजार साल पहले ईसा से 599 वर्ष पूर्व वज्जि राज्य में हुआ था जिसकी राजधानी वैशाली नाम से जानी जाती थी जोकि इस समय बिहार राज्य के अन्तर्गत आती हैं। भगवान विष्णु के नौवें अवतार के रूप में अवतरित भगवान बुद्ध ने इस क्षेत्र को अपनी कर्मभूमि बनाया था।
भगवान महावीर क्षत्रिय कुल से संबंध रखते थे, इनका जन्म सूर्यवंश (अर्कवंश) में हुआ था। इनके पिता महाराजा सिद्धार्थ और माता का नाम महारानी त्रिशला था। इनके बचपन का नाम वर्धमान था। लगभग 30 वर्ष की आयु में ही राजकुमार वर्धमान ने राज वैभव का सुख त्यागकर आत्मकल्याण के पथ पर निकल गए।
कौन हैं भगवान महावीर?
भगवान महावीर सनातन धर्म की जैन पंथ के 24वें तीर्थंकर हैं। जिन्होंने 12 वर्ष की कठिन तपस्या के कारण कैवल्य ज्ञान अर्जित किया। जैन पंथ के ग्रंथों में राजकुमार वर्धमान को वीर, अतिवीर, महावीर और सन्मति जैसे नामों की संज्ञा दी गई है। इनके इन सभी नामों के पीछे कई कथाएं जुड़ी हैं। जैन पंथ की दिगम्बर परम्परा के अनुसार भगवान महावीर का विवाह नहीं हुआ था और श्वेतांबर परम्परा के अनुसार इनका विवाह हुआ था। भगवान महावीर के 11 शिष्य थे जिन्हें गणधर कहा जाता है, जिनमें पहला शिष्य इंद्रभूति नाम का व्यक्ति था।
क्यों मनाई जाती हैं महावीर जयंती?
राजकुमार वर्धमान को 12 वर्षों के कठिन तपस्या के समय में कई बार अपमानित करने का कार्य किया गया। पीठाधीश और स्वयं को धर्म का ठेकेदार समझने वालों ने राजकुमार वर्धमान का बहुत उपहास उड़ाया और बार बार उन्हें अपमानित करने का दुस्साहस कार्य किया। जिस समय में भगवान महावीर का जन्म हुआ था उस समय में धर्मकांड के नाम पर पशुबलि, असहाय मनुष्यों पर धर्म के नाम पर हिंसा, जात पात, ऊंच नीच का भेदभाव बढ़ गया था। कैवल्य ज्ञान के बाद राजकुमार वर्धमान से जैन पंथ के 24वें तीर्थंकर बने भगवान महावीर ने अहिंसा और सत्य का पाठ पढ़ाया उन्होंने अहिंसा को ही मानव का सर्वोत्तम नैतिक गुण बताया। भगवान महावीर ने जैन पंथ के 5 पंचशील सिद्धांत बताए जोकि इस प्रकार से हैं : अस्तेय, अहिंसा, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य और सत्य। भगवान महावीर ने ही जीयों और जीने दो का सिद्धांत दिया था।